कॉमरेड मीनाक्षी को क्रान्तिकारी श्रद्धांजलि

कॉमरेड मीनाक्षी को क्रान्तिकारी श्रद्धांजलि

माओवादी कम्युनिस्ट ग्रुप (यूएसए) 1 मई, 2021

एक शानदार योद्धा और सर्वहारा वर्ग की शिक्षिका कॉ. मीनाक्षी, कोविड-19 से एक सप्ताह तक जूझने के बाद 21 अप्रैल को हमारे बीच नहीं रहीं। विश्व के दूसरे भाग में, एक अलग महाद्वीप पर होने के बावज़ूद हम इस क्षति को अपनी व्यक्तिगत क्षति के रूप में महसूस करते हैं। हम लोगों में से कुछ को लखनऊ में कॉमरेड मीनाक्षी के साथ लखनऊ में समय बिताने का अवसर मिला। भाषा अलग होने के बावज़ूद, दोनों भाषाओं की जानकारी रखने वाले कॉमरेडों की मदद से, हमें रात में खाने की मेज़ पर भारत में वर्ग संघर्ष से लेकर अमेरिका में क्रान्तिकारी कविता जैसे विषयों पर विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान का मौक़ा मिला, जिसके बीच-बीच में आपकी निश्छल हँसी आज भी हमारे कानों में गूँज रही है।

बाबुश्किन की मृत्यु के अवसर पर लेनिन द्वारा कहे गए शब्दों में कहें तो: हम वास्तव में शापित परिस्थितियों में जी रहे हैं, जब यह सम्‍भव है कि एक प्रमुख सांगठनिक कार्यकर्ता, एक वरिष्ठ कॉमरेड, जिसने बिना किसी स्वार्थ के अपना जीवन मेहनतकशों के लक्ष्य के लिए समर्पित कर दिया, की मृत्यु इसलिए हो जाये क्योंकि फ़ासीवादी बुर्जुआ सत्ताधारियों ने अपनी सभी ज़िम्मेदारियों से मुँह मोड़ लिया है। मोदी एण्ड कम्पनी ने मज़दूर वर्ग और आम जनता की सबसे महत्वपूर्ण ज़रूरतों पर पूँजीवादी हमलों को और तेज़ कर दिया है। फ़ासिस्टों ने जीवन और मौत के सवाल को ऑक्सीजन और दवाइयों की कालाबाज़ारी करने वाले मुनाफ़ाखोरों के हाथों में सौंप दिया है। हमें इस बारे में कोई चूक नहीं करनी चाहिए कि: कॉ. मीनाक्षी, इस महामारी में अन्य बहुत से लोगों की तरह, बुर्जुआ वर्ग की उन काली ताक़तों के हाथों मृत्यु को प्राप्त हुईं जो दवाइयों को मुनाफ़े से जोड़ देते हैं।

कॉमरेडो! कॉ. मीनाक्षी के गुजर जाने के इस तेज़ झटके को अपनी कतारों को ऐक्यबद्ध करने में और अपनी इच्छाशक्ति को मज़बूत करने में लगा देना चाहिए। हम पूँजी के ख़िलाफ़ एक साझा संघर्ष के लिए निकले हुए हैं और दुनिया की कोई भी ताक़त हमारी अवश्यम्भावी विजय को बाधित नहीं कर सकेगी।

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