भारत का मजदूर आन्दोलन और कम्युनिस्ट आन्दोलन : अतीत के सबक, वर्तमान समय की सम्भावनाएँ तथा चुनौतियाँ
भारत का मजदूर आन्दोलन और कम्युनिस्ट आन्दोलन : अतीत के सबक, वर्तमान समय की सम्भावनाएँ तथा चुनौतियाँ द्वितीय अरविन्द स्मृति संगोष्ठी में प्रस्तुत आलेख सुखविन्दर सम्पादक, ’प्रतिबद्ध’, लुधियाना जब मनुष्य अपने लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में प्रयत्न करता है तो इस प्रक्रिया में अतीत के प्रयोगों की शिक्षा की रोशनी में आगे बढ़ते हुए कई भूलें करता है, कभी सफल होता है तो कभी असफल। और अपने इन प्रयासों की नकारात्मक तथा सकारात्मक शिक्षाएँ आने वाली पीढ़ियों के लिए छोड़ जाता है। भारत में कम्युनिस्ट आन्दोलन का इतिहास लगभग नब्बे साल पुराना है। भारतीय मजदूर वर्ग इसके करीब चार दशक पहले से ही पूँजीवादी शोषण के विरुध्द संगठित संघर्षों की शुरुआत कर चुका था। मजदूर वर्ग के संघर्षों के जुझारूपन और कम्युनिस्टों की कुर्बानी, वीरता और त्याग पर शायद ही कोई सवाल उठा सकता है। लेकिन व्यापक सर्वहारा आबादी को नये सिरे से आर्थिक-राजनीतिक संघर्षों के लिए संगठित करने तथा उनके बीच मजदूर क्रान्ति के ऐतिहासिक मिशन का प्रचार करने की समस्याओं से जूझते हुए जब हम इतिहास का पुनरावलोकन करते हैं तो मजदूर आन्दोलन में कम्युनिस्ट पार्टी के काम को लेकर बहुत सारे प्रश्नचिह्न उठ खड़े होते हें।